यह परेशान मन से निकली हुई एक इच्छा के सिवा कुछ भी नहीं | ये तो कभी नहीं हो सकेगा |
जो लोग शहर और गाँव से भागकर गुफाओं में भी गए, उन्हें गुफाओं के झंझट मिले ! जिन्होंने विवाहित जीवन के झंझटों से पलायन कर सम्बन्ध -विच्छेद को विकल्प समझा, उन्हें एकाकी जीवन के विष-दंश झेलने पड़े ! जो लोग समाज से भागकर हिप्पी बने, उन्हें हिप्पी जीवन के झंझट झेलने को मिले ! जिन्हें अपने देश की दुर्ब्यवस्था से पीड़ा हुई और विदेश भागकर गए, उन्हें वहां स्वदेश की याद का झंझट झेलना पड़ा ! जो लोग राजनीति को गन्दा समझकर उससे दूर भागे, उन्हें उसी गन्दी राजनीति के फैसलों का खामियाजा भुगतना पड़ा ! ऐसा लगता है कि इस जिन्दगी के ताने-बाने में हीं झंझटों की अनिवार्य उपस्थिति है :)
वैसे तो बहुत शोर है हर तरफ लेकिन सन्नाटे की क़ैद में है, तुम्हे फर्क महसूस नहीं हो रहा लेकिन तुम्हारी आज़ादी भी क़ैद में है !
Monday, 27 September 2010
Sunday, 12 September 2010
रात आधी हो गयी है |
सो गए हैं लोग लेकिन स्वप्न उनमें जागते हैं,
खलबली से थक चुके इंसान उनमे जागते हैं
नींद में हर फिक्र थक कर सो गयी है,
रात आधी हो गयी है |
हो चुकीं विस्मृत उनमे वासनाओं की कतारें,
शांत पड़ते मन -पटल पर भगवान उनमे जागते हैं,
उलझनों की पकड़ मन पर आज ढीली हो गयी है,
रात आधी हो गयी है |
खलबली से थक चुके इंसान उनमे जागते हैं
नींद में हर फिक्र थक कर सो गयी है,
रात आधी हो गयी है |
हो चुकीं विस्मृत उनमे वासनाओं की कतारें,
शांत पड़ते मन -पटल पर भगवान उनमे जागते हैं,
उलझनों की पकड़ मन पर आज ढीली हो गयी है,
रात आधी हो गयी है |
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