यह परेशान मन से निकली हुई एक इच्छा के सिवा कुछ भी नहीं | ये तो कभी नहीं हो सकेगा |
जो लोग शहर और गाँव से भागकर गुफाओं में भी गए, उन्हें गुफाओं के झंझट मिले ! जिन्होंने विवाहित जीवन के झंझटों से पलायन कर सम्बन्ध -विच्छेद को विकल्प समझा, उन्हें एकाकी जीवन के विष-दंश झेलने पड़े ! जो लोग समाज से भागकर हिप्पी बने, उन्हें हिप्पी जीवन के झंझट झेलने को मिले ! जिन्हें अपने देश की दुर्ब्यवस्था से पीड़ा हुई और विदेश भागकर गए, उन्हें वहां स्वदेश की याद का झंझट झेलना पड़ा ! जो लोग राजनीति को गन्दा समझकर उससे दूर भागे, उन्हें उसी गन्दी राजनीति के फैसलों का खामियाजा भुगतना पड़ा ! ऐसा लगता है कि इस जिन्दगी के ताने-बाने में हीं झंझटों की अनिवार्य उपस्थिति है :)
aapka blog padha .. do kavitaen to pahale Fb par padhi thin ... sundar rachnaon ka guldasta .. lelkh bhi padha . sunil ji , aapki rachnadharmita isi trah bani rahe .
ReplyDeletesaadar
Aparna Bhatnagar
अपर्णा जी,मेरे ब्लॉग को पढने और इसे "सुंदर रचनाओं का गुलदस्ता" जैसे उदार प्रशंसा से नवाज़ने के लिए बहुत,बहुत धन्यवाद् | मेरा लिखा हुआ आपको पसंद आया, यह जानकर ख़ुशी हुई | इस उत्साहवर्धन और " मेरी रचनाधर्मिता " बनी रहे ऐसी सुभेच्छा ब्यक्त करने के लिए पुनः धन्यवाद् |
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