सो गए हैं लोग लेकिन स्वप्न उनमें जागते हैं,
खलबली से थक चुके इंसान उनमे जागते हैं
नींद में हर फिक्र थक कर सो गयी है,
रात आधी हो गयी है |
हो चुकीं विस्मृत उनमे वासनाओं की कतारें,
शांत पड़ते मन -पटल पर भगवान उनमे जागते हैं,
उलझनों की पकड़ मन पर आज ढीली हो गयी है,
रात आधी हो गयी है |
खलबली से थक चुके इंसान उनमे जागते हैं
ReplyDeletesundar abhivyakti!!!
अनुपमा जी, मेरी रचना में से आपको कुछ पसंद आया, इस उत्साहवर्धन के लिए आपको धन्यवाद |
ReplyDeleteसो गए हैं लोग लेकिन स्वप्न उनमें जागते हैं,
ReplyDeleteखलबली से थक चुके इंसान उनमे जागते हैं
ji haa .. abhi yahi panktiyaa behtar hai..is samay ke lihaaj se... bahut khoob likha hai
धन्यवाद डॉ नूतन । आपके शब्द मुझे अच्छे लगे ।
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